बरसात के पानी से नमी पाकर धरती खिल गई है.कई हरी-भरी वनस्पतियों के साथ ये घास भी खेतों में फैली हुई लहलहा रही है.चाटी (चींटी) के समान छोटी-छोटी और पंक्तिबद्ध पत्तों के कारण ही ये छत्तीसगढ़ में चाँटी(बस्तर में चाटी)भाजी कहलाती है.
ये भाजी हर साल खेतों में पहली बारिश के साथ ही अपने आप प्रकट हो जाती है.औरतें इसके पत्तों को डंठल सहित तोड़कर जमा करती हैं और घर में मूंग,उड़द या कुलथी दाल के साथ इससे पकाती हैं.कोंडागाँव सहित आस-पास के गाँवों के हाट-बाजारों में भी ये भाजी खूब बिकती है.आप भी कभी दाल के साथ जरूर आनंद लीजिएगा चाटी भाजी के लज़ीज स्वाद का.