साल 20011 का.खेत में काम करते विविध भारती सुन रहा था.सखी सहेली कार्यक्रम में एक महिला ने बड़ा शानदार खत लिखा था.सुनकर मन गदगद हो गया.चिट्ठी कुछ इस तरह की थी.
"नमस्कार!.....मेरे पति क्रकेट के दीवाने हैं.2003 के वर्ल्ड कप फाइनल के दिन उन्होंने ढेर सारे पटाखे खरीद लाए.मुझसे बोले देखना आज विश्व विजेता बनकर रहेगा.पर भारत की 125 रनों से करारी हार के बाद वो टूट से गए.
कुछ देर बाद वे संभलकर बोले-भारत जीतेगा और जरूर जीतेगा आज नहीं तो कल जातेगा.और उस दिन मैं ये पटाखे चलाऊँगा,कहकर उन्होंने वो पटाखे आलमारी में संभलकर रख दिए.2007 में भारत बंग्ला देश और श्रीलंका शिकस्त खाकर पहले दौर में ही बाहर हो गया.पर मेरे पति को यकीन था कि कभी न कभी वो दिन आएगा जब उनके आलमारी में रखे पटाखों की शोर से सारा मोहल्ला गूँज उठेगा.
और 8 साल बाद वो दिन आ ही गया.2अप्रैल 2011का दिन हमारे लिए हमेशा-हमेशा के लिए यादगार बन गया जब भारत और श्रीलंका विश्व कप फाइनल में आमने-सामने थे.जैसे ही भारतीय कप्तान धोनी ने छक्का मारकर भारत को विश्व विजेता का खिताब दिलाया,मेरे पति झूम उठे,वे आलमारी से सारे पटाखे निकाल लाए और देर शाम तक पटाखे चलाते रहे,खुशियाँ मनाते रहे,उनकी खुशियों में मैं भी शरीक हो गई.
जिंदगी में हार से निराश होने की जरूरत नहीं है.धैर्य रखिए-निरंतर प्रयास करते रखिए.देखिएगा एक दिन ईश्वर आपकी झोली खुशियों से भर देगें."
गाने की फरमाइश कौन सी थी मुझे याद नहीं शायद ये गाना रहा हो -
ज़िंदगी की यही रीत है.
हार के बाद ही जीत है.
थोड़े आँसू हैं थोड़ी हँसी.
आज गम है तो कल है खुशी.