कोंडागांव जिला मुख्यालय राजधानी रायपुर से लगभग 215 कि.मी. दूर,एन.एच 30 पर स्थित है.केशकाल की घाटी,आलोर की लिंगई माता डोंगर की दंतेश्वरी,कोपाबेड़ा का शिवमंदिर-नारियल विकास बोर्ड,भोंगापाल का बौद्ध स्थल जैसे और भी कई पर्यटन स्थल तो यहाँ हैं ही,साथ ही यहाँ कृषि,लोक गीत-संगीत कला संस्कृति व साहित्य से जुड़े महत्वपूर्ण लोगों की जमात भी है.जो कोण्डागाँव को प्रदेश और देश-विदेश में एक विशिष्ट पहचान दिलाता है.आदरणीय हरिहर वैष्णव जी,राजाराम त्रिपाठी जी,खैम वैष्णव जी,जयदेय बघेलजी,टी.एस ठाकुर जी चितरंजन रावल जी,सुरेन्द्र रावल जी सरीखे और भी कई बड़ी हस्तियाँ यहीं से जुड़े हुए हैं.
अब कोण्डागाँव शहर का "जोहार एथनिक रिसॉर्ट" जिले को एक नई पहचान दिलाने वाला है.चिखलपुट्टी कोण्डागाँव में यह रिसॉर्ट बनकर लगभग तैयार हो गया है.जहाँ जाकर व्यक्ति बस्तर की संस्कृति को जी सकता है-शहर के भीतर सुदूर गाँव के लोकजीवन को प्रत्यक्ष अनुभव कर सकता है.यहाँ मुरिया,माड़िया,धुरवा,भतरा जनजातियों की तर्ज पर सुन्दर आवास बनाए गए हैं साथ ही यहाँ विलुप्त होती रही जनजातीय उपयोग की वस्तुओं का संग्रह भी किया गया है.कल जाने का अवसर मिला.
कुछ तस्वीरेें.....
अशोक कुमार नेताम
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