बस्तर के गाँवों के नाम की कहानी बड़ी ही रोचक और मज़ेदार होती है.गाँव के नाम के आधार पर उसके विषय में थोड़ा बहुत अनुमान लगाया जा सकता है.ये नाम प्राय: खेत,पर्वत,वृक्ष,फल,पशु,पक्षी आदि पर आधारित होते हैं.आइए हम इस विषय पर थोड़ी सी चर्चा कर लें.
बस्तर में गाँव के नाम में प्राय: निम्नलिखित शब्द जुड़ते हैं-
1.पुर-पुर यानी कि नगर ऐसे नाम प्राय: शहरों के नाम होते हैं.अपने यहाँ जगदलपुर,नारायणपुर,सिरपुर,
गोविंदपुर,रामपुर,पाढ़ापुर,सिंगनपुर जैसे गाँव/शहर हैं.
2.पुरी:पुर भी लगभग वैसा ही है.बस्तर में भानपुरी,बैजनपुरी,संगारपुरी आदि नाम के गाँव है.
3.गाँव-ग्रामीण क्षेत्र गाँव कहलाता है.जैसे कोंडागाँव,मालगाँव,काटागाँव,बनियागाँव,सातगाँव,पांडे आठगाँव आदि.
4.मेटा- गोण्डी में मेट्टा का मतलब होता है पर्वतीय क्षेत्र.ऐसे गाँव हैं-कस्तूरमेटा,कोहकामेटा,सालेमेटा...आदि.
5.गुड़ा-गुड़ा का वास्तविक अर्थ है घोंसला.मानव के रहने के स्थान को गुड़ा या घोंसला कहा जाना बिलकुल उचित है-गुड़ा के अंतर्गत लोंहड़ीगुड़ा,फरसागुड़ा,चाटीगुड़ा,सिवनागुड़ा आदि गाँव हैं.
6.पारा-पारा का मतलब किसी भाव के अंतर्गत आने वाले इलाके को कहा जाता है जैसै-तोया पारा,गुंजू पारा,जामपारा,गाँयता पारा.
7.बेड़ा-बेड़ा यानी कि खेत.खेती वाले क्षेत्र में गाँवों के नाम इस प्रकार के हैं-कोयलीबेड़ा,जोंधराबेड़ा,भानबेड़ा,तरईबेड़ा
8.मारी-केशकाल क्षेत्र में मारी यानी कि पर्वतीय-पठारी क्षेत्र होता है. ऐसे गाँव हैं-कुए मारी,टाटा मारी,झलिया मारी.
9.भाटा-भाटा यानी कि वनरहित मैदानी भाग.ऐसे गाँव अंतर्गत सालेभाटा,सिवना भाटा,चार भाटा आदि गाँव आते हैं.
1.वाड़ा-वाड़ा का अर्थ भी रहने का स्थान या गाँव होता है.ऐसे गाँव दक्षिण बस्तर में मिलते हैं जैसे दंतेवाड़ा,गमावाड़ा,हांदावाड़ा,मैलावाड़ा आदि.
11.कोट-कोट यानी कि वन.
चित्रकोट,उमरकोट,रायकोट,कुम्हड़ाकोट.नाम में संभवत: उड़ीसा का असर है.
12.टोला-ऐसे नाम कांकेर जिले में पाए गए हैं.ये प्राय: पेड़ के नाम से जुड़े हैं.मर्का(आम)टोला,कोहकाटोला,सरई(साल)टोला,साल्हे(एक वृक्ष)टोला!
13.गोंदी-संभवत: पहाड़-जंगल का क्षेत्र चारामा के निकट के कहाड़गोंदी,मुंजालगोंदी आदि गाँव.
14.नार-नार का मतलब भी गाँव होता है.जैसे नगरनार,नेतानार,मड़ानार,चोलनार,पालनार,पीरनार,कोड़ेनार,बास्तानार.
15.वाही-कई गाँवों में वाही शब्द जुड़ता है जैसे-जूनावाही,कोचवाही,केरावाही,बासनवाही,सिंगारवाही,घोटियावाही.
16.पाल-पाल भी गाँव ही है,पर शायद जिससे वो क्षेत्र पलता है,उसके नाम पर भी ये नाम रखे गए.गाँवनारायणपाल,सरगीपाल,किलेपाल,गुमियापाल,लखापाल,मोखपाल,कुंदनपालआदि.ऐसे गाँव दक्षिण बस्तर में पाए जाते हैं.
17.वंड-वंड नाम वाले गाँव भी भी वनक्षेत्र वाले प्रतीत होते हैं जैसे गोलावंड,तीतरवंड,बकावंड,सिदलावंड,रेमावंड आदि.
18.गढ़-जिस गाँव की कोई अलग पहचान हो जैसे-छिंदगढ़,अन्तागढ़ आदि.
19.खेड़ा- एक भाई ने बताया था कि खेड़ा किसानों के इलाके को कहा जाता है.ऐसे गाँव कांकेर जिले में हैं जैसे-मैनखेड़ा,खैरखेड़ा
20.पदर-नदी-नाला वाला क्षेत्र पदर कहलाता है.ऐसे गाँवों के नाम हैं-जाड़ा पदर,मुनगापदर,जोंधरापदर,चिड़ईपदर आदि.
21.रास-रास का मतलब भी गाँव/पारा प्रतीत होता है.ऐसे नाम के गाँव दंतेवाड़ा जिले में स्थित हैं-कुम्हाररास,पातररास,कतियाररास,कोरीरास.
22.मुण्डा-बस्तर में विशाल तालाब को मण्डा कहा जाता है.ऐसे नाम हैं-टेढ़मुण्डा,गंगामुण्डा आदि.
23.कन्हार-धनेलीकन्हार,भइँसाकन्हार.
24.पल्ली-गगनपल्ली,गोलापल्ली आदि.
गाँवों में पशुओं के नाम-बैलाडीला,छेरी बेड़ा,भैंसाकन्हार,मस्सूकोकोड़ा,चिड़ईपदर,आदि.
व्यक्ति के नाम-रामपुर,शामपुर,नरोनापल्ली,नाययणपुर,गोविंदपुर आदि.
पेड़ों/फलों के नाम-आमगाँव,जामगाँव,केरावाही,जाड़ापदर,बेलोतीपारा,लिमउपदर,मुनगापदर,कोसुमकसा आदि.
फसल के नाम-जोंधरापदर,उड़ीदगाँव आदि.
प्रत्येक गाँव का नाम प्राकृतिक वस्तुओं से जुड़ा है.क्यों?
क्योंकि मनुष्य प्रकृति का पुत्र है.वन,पर्वत,झरने,पशु-पक्षियों आदि के बगैर वह जीवन की कल्पना नहीं कर सकता.मानव भौतिक सुख चाहे कितना भी अर्जित कर ले,पर जीवन का वास्तविक आनंद तो प्रकृति के सान्निध्य में ही है.
क्या आपके गाँव में भी इनमें से कोई शब्द जुड़ता है?और भी इस प्रकार के कई नाम हैं,जिन्हें मैं विस्मृत कर गया हूँ,आप मुझे जरूर याद दिलाइएगा.दिलाएँगे न?
अशोक कुमार नेताम