सोमवार, 27 अप्रैल 2020

नागरमोथा

खेत में खड़ा सूरज की रोशनी में ये #नागरमोथा
बिल्कुल सोने की तरह चमक रहा था.
 माँ के अनुसार स्थानीय बोली में ये #बरहा_लाटा है.ये पौधा कुछ-कुछ केसुर/केसरवा कांदा के पौधे के सदृश दिखाई देता है.बरसात के दिनों में ये बाड़ियों-मैदानों में गहरे हरे रंग की पत्तियों के साथ प्रकट हो जाते हैं.पौधे के जमीन के नीचे छोटा सा कंद पाया जाता है,जो बड़ा ही मीठा और दिव्य गंधयुक्त होता है.इसके कंद की खुशबू से ही इसके बड़े उपयोगी व औषधीय महत्व का पौधा होने का आभास हो जाता है.आप इसके उपयोग आदि के बारे में इंटरनेट पर और अधिक जानकारी हासिल कर सकते हैं.
फिलहाल तो हम बताते हैं कि इसे बरहा लाटा या बरहा कांदा क्यों कहा जाता है?बरहा यानी कि सूकर या वाराह.
प्राय: बाड़ी आदि में सूकर लगातार मिट्टी में आपना मुँह गड़ाए चलता जाता है.इस दौरान वह इसके कंद की ही तलाश करता है.व उसे खाता है.

अशोक कुमार नेताम

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