चाँटी भाजी छत्तीसगढ़ की महत्वपूर्ण भाजियों में से एक है.बस्तर में यह "चाटी भाजी" कहलाती है.इस भाजी की कोई खेती नहीं होती बल्कि धान कटाई के बाद थोड़ी सी नमी मिलते ही खेतों में यह अपने आप उग आती है.घास प्रजाति का यह पौधा बिल्कुल दूब की तरह दिखता है.इसके तने गठानयुक्त होते हैं,जो मुख्य जड़ से चारों 10 से 15 से.मी. तक लंबाई में जमीन पर फैले हुए होते हैं.तनों के गांठ से दोनों ओर छोटी-छोटी पत्तियाँ समानान्तर क्रम में लगी हुई होती हैं.इसकी पत्तियाँ चींटी की तरह छोटी,पंक्तिबद्ध व पूरी तरह जमीन से जुड़ी हुई होती हैं,इसीलिए इसे चाटी भाजी कहा जाता है.बचपन में माँ और अपने संगी साथियों के साथ हम खेतों में घूम-घूमक चाटी भाजी खोजा करते थे.कल जब कोण्डागाँव हाट में माताएँ-बहनें चाटी भाजी विक्रय करती नज़र आईं,तब हृदय आनंद से भर गया.कभी आपको चाटी भाजी मिले तो मूँग उड़द,मसूर या कुलथी दाल के साथ इसके स्वाद का आनंद जरूर लीजिएगा.
मंगलवार, 14 जनवरी 2020
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चाटी_भाजी
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1 टिप्पणी:
बहुत अच्छा स्वाद है दाल के साथ साथ कोचई (अरबी) के साथ भी बहुत अच्छा लगता है
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