शनिवार, 14 जुलाई 2018

||बस्तर में बनी-भूती||

बस्तर के लोग बड़े सीधे-सरल होते हैं.पर यहाँ अधिकांश परिवारों की आर्थिक स्थिति कमजोर होती है.जिसके कारण इन्हें बनी-भूती मजदूरी करनी पड़ती है.

आइए हमारे आस-पास प्रचलित मजदूरी के कुछ प्रकारों को जानें.

1.बनी:-प्राय: रोजी की दर पर किए जाने वाला काम बनी कहलाता है.सुबह 8 से 12 फिर 2 से 5 बजे तक का काम एक दिन की बनी कहलाता है.
ये कई प्रकार के हो सकते हैं-

क)नांगर बनी:-नाँगर बनी में आदमी अपने बैल व हल की सहायता से 6 से 11 बजे तक दूसरे के खेत की जुताई का कार्य करता है.मजदूरी 150 से 200 के लगभग होती है.इसमें एक प्रहर ही कार्य करना होता है.

ख)रोपा बनी:-धान की रोपाई हेतु  की जाने वाली बनी रोपा बनी कहलाती है.

ग)निंदा बनी:-धान के खेतों में खरपतवार उखाड़ने का काम निंदा बनी कहलाती है.

घ)हाट बनी:-बनी करने के दिन औरतें हाट-बाजार नहीं जा पातीं क्योंकि  काम के खत्म होते तक शाम हो चुका होता है.इसलिए अब हाट बनी आरंभ हो गई है.इसमें बनिहार सुबह 6 बजे से  दोपहर तक लगातार काम करता है.उसके बाद छुट्टी हो जाती है.

ड.)कोड़का बनी:-भुट्टे के पौधे 10-15 से.मी. होने पर उसके तने की मजबूती के लिए मिट्टी चढ़ाई जाती है.इसे कोड़का देना या कोड़कना कहते हैं.

2.ठेका:-ठेके में कई मजदूर मिलकर किसी काम को निश्चित दिन तक पूरा करने का जिम्मा लेते हैं.इसमें समय की पाबंदी नहीं होती.तय अवधि से पहले काम पूरा होने पर बनिहारों को फायदा होता है.

3.गोदी:-गोदी के अंतर्गत प्राय: खुदाई का काम होता है.अब गोदी में रोपाई भी की जाती है.खुदाई में तय लंबाई-चौड़ाई व गहराई के अनुसार मजदूरी मिलती है.रोपाई में भी रोपे गए पौधों के क्षेत्रफल के अनुसार कमाई का निर्धारण होता है.

4.बेठिया:-बस्तर में लोग केवल रुपये कमाने के लिए नहीं बल्कि सहयोग व आत्मीयता बनाए रखने के लिए भी काम करते हैं.इसका उदाहरण है बेठिया.बेठिया में किसी भी  काम के बदले  दाम नहीं दिया जाता बल्कि उस दिन सहयोगियों के लिए शाम के भोजन की विशेष व्यवस्था करनी होती है.लेकिन यह प्रचलन से बाहर होता जा रहा है.

5.नग के आधार पर मजदूरी:-कई बार नग के आधार पर भी मजदूरी तय होती हैजैसे ईंट-खपरैल आदि निर्माण में प्रति सैकडा या हजार पर मजदूरी तय की जाती है.हमाली करने वाले भी प्रति बोरे की दर से रुपये लेते हैं.

✍अशोक नेताम "बस्तरिया"

कोई टिप्पणी नहीं:

चाटी_भाजी

 बरसात के पानी से नमी पाकर धरती खिल गई है.कई हरी-भरी वनस्पतियों के साथ ये घास भी खेतों में फैली  हुई लहलहा रही है.चाटी (चींटी) क...