शनिवार, 20 अक्तूबर 2018

||रिश्तों की नींव||

इमारत बने जब संबंधों की,
तो नींव में स्वार्थ नहीं,डाला जाए प्रेम.
फिर वो महल खड़ा रहेगा,
सदियों तक अपनी जगह  .

लेकिन मतलब के कमजोर नींव पर टिकी,
रिश्तों की बड़ी से बड़ी इमारत भी,
बहुत जल्दी भरभराकर गिर जाएगी.

✍अशोक नेताम "बस्तरिया"

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