शनिवार, 20 अक्तूबर 2018

||रेंगते जा||

रेंगते जा ना,तुय गिरतो के नी डर.
गिरुन उपरे ले घुमर दख,कितरो सुँदर लागेसे.

ए जीवना आय चलते रहेसे इता,
घाम साँय चो खेल.
बिन दुखा खादलो नी निकरे,
टोरा भीतर ले तेल.

हुनि हाँसेसे एक दिन,जे आउर काजे गागेसे.

एक ठान अंडकी,
काँई तीज के धरुक नी सके.
एकलोय मनुक,
खुबे बड़े काम करुक नी सके.

खत,पानी,घाम पाएसे तेब भूँये बीजा जागेसे.

आउर के ठगुन खासे,
तुचो पेट ने कसन जिरेदे.
जसन तूय करसे करम,
हुसने तुके फर मिरेदे.

सुक ने रहेसे हुन जे,सब काज सुक माँगेसे.

✍अशोक नेताम "बस्तरिया"

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