रविवार, 21 अक्तूबर 2018

||हाइकू||

रहो तैयार.
वो सजके आएँगे.
तुम्हारे द्वार.

सजेगा गाँव.
होगी पूछ-परख.
चलेंगे दाँव.

छल ओढ़के.
करेंगे मीठी बातें.
हाथ जोड़के.

मांगेगे वोट.
विकास के नाम पे.
फेंकेंगे नोट.

पूछेंगे हाल.
मौसम है ठंड का,
बाँटेंगे शॉल.

मिलेगा दारू.
पर न बिक जाना.
तुम सोमारू.

ये जो नेता है.
ले लेता कई गुना.
जो भी देता है.

वोट मंत्र है.
राजशाही नहीं ये.
लोकतंत्र है.

सबकी सुनें.
होगा जो भी लायक.
उसी को चुनें.

किससे डरें?
हम सब मिलके,
वोटिंग करें.

✍अशोक नेताम "बस्तरिया"

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