गुरुवार, 2 अगस्त 2018

||बियासी||

किसानी के काम मेें बहुत श्रम और धन खर्च होता है.अच्छी फसल की आस में किसान अपना सर्वस्व खेतों में झोंक देता है.कई बार वर्षा के अभाव में फसलें सूख जाती हैं और कभी कृषकों को अपने उपज की सही कीमत नहीं मिल पाती.लेकिन काश्तकारी बड़े मजे का काम है.सदैव प्रकृति के समीप रहकर अपने प्यारे पशुओं पर प्यार लुटाना,हरे-भरे खेतों का दीदार करना और परिजनों के संग आनन्दमय जीवन व्यतीत करना,संभवत: यही संसार का सबसे बड़ा सुख है.

छत्तीसगढ़ में मुख्यत: धान की फसल ली जाती है.धान की बुआई के बाद खेत में बियासी देना बहुत महत्वपूर्ण काम है.आइए जानें बियासी देना आखिर क्या है?

धान की बुआई में बीज एक-दूसरे के एकदम आस-पास गिरते हैं जिससे धान के पौधे बहुत धने हो जाते हैं.जिससे उन्हें वृद्धि व विस्तार करने का प्रर्याप्त स्थान नहीं मिल पाता.इसलिए बुआई के लगभग 20-25 दिन बाद जब खेतों में पर्याप्त पानी भरा होता है,हल चलाया जाता है.हल चलाते समय लाइन की दूरी लगभग 15-20 से.मी. होती है.रोपाई वाले धान में बियासी नहीं दिया जाता.

क्या होता है बियासी देने से?

बियासी देने से खेत की मिट्टी ढीली हो जाती है व आपस में पौधों की दूरी बढ़ जाती है जिससे उन्हें बढ़ने का पर्याप्त अवसर मिल जाता है.बियासी के बाद निंदाई कर खेतों से खरपतवार उखाड़कर नष्ट कर दिया जाता है.

इस प्रकार खेत में बियासी देना धान की फसल के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है.

कहा जाता है कि पहले खेतों में बियासी नहीं दी जाती थी.इससे संबंधित एक कहानी भी कही जाती है.
जो इस प्रकार है..

किसी गाँव में दो भाई रहते थे.दोनों दोनों के खेत अलग-अलग थे.जहाँ वे धान बोया करते थे.छोटा भाई बड़े से किसी कारणवश नाराज था.इसलिए एक दिन उसने सोचा कि क्यों न बड़े भाई के धान की फसल बरबाद कर उसे दुख पहुँचाया जाय.इसलिए उसने रातों रात भाई की फसल पर हल चला दिया और पकड़े जाने के भय से गाँव छोड़कर भाग गया.
बड़ा जान गया कि ये उसके छोटे भाई की करतूत है.वह दुखी तो हुआ पर उसने हिम्मत नहीं हारी.और अपने काम में लगा रहा.आश्चर्यजनक रूप से उस वर्ष उसके धान की उपज कई गुना बढ़ गई.कहा जाता है तब से धान के खेत में बियासी देने की शुरुआत हुई.

✍अशोक कुमार नेताम
     केरावाही(कोण्डागाँव)

कोई टिप्पणी नहीं:

चाटी_भाजी

 बरसात के पानी से नमी पाकर धरती खिल गई है.कई हरी-भरी वनस्पतियों के साथ ये घास भी खेतों में फैली  हुई लहलहा रही है.चाटी (चींटी) क...