पटकी अकराउन ,
समया पराते परायसे.
पूरे चो नीती-नियम सब,
अदाँय हाजते जायसे.
एबे चो पीलामन,
खुबे उड़गाड़ी,
नी खेलोत हुनमन,
लकड़़ी अउर माटी चो गाड़ी.
जनम धरला कि,
मोटोर साइकिल-मोबइल के सिखला.
सियान मन के मान नी देवोत,
लाज-सरम के बिकला.
माय-बाप कमासोत,
बेटा बसुन खायसे.
पूरे चो नीती-नियम सब,
अदाँय हाजते जायसे.
आमि भूँय चो मालिक मांतर,
कसन होली दखा आज.
बागमन के डरउन इथा,
कोलयामन करसोत राज.
दिन-राति पसना फुटउ,
कमया आसे दुख ने.
कुर्सी ने बसु सेठ-सौकार,
काय मंजा आसे सुख ने.
मालिक बनलो नवकर,
पर घरे जाउन कमायसे.
पूरे चो नीती-नियम सब,
अदाँय हाजते जायसे.
गप्पा-टुकना,ओडी-डुटी,
चाप,मसनी छतोड़ी हाजते हाजेसे.
रिरिलियो गीद नइ,मन्दर नाचा नइ,
घर-घर ने अदाँय डी जे बाजेसे.
रुक राई सरेसे,
नंदी तरई आटसत.
मिलुन रहूँ पूरे,लोग अदाँय,
भूँय बाड़ी के बाटसत.
काली चो जनमलो पीला एबे,
सियान मन के डरायसे.
पूरे चो नीती-नियम सब,
अदाँय हाजते जायसे.
कोन किले डोबली-दोना,
गाए कोन लेजा-ददरिया.
गाँव चो लुगा-पाटा छाँडला,
होला सबाय सहरिया.
डारा पाना के खाउन,
सौ बरख जीवला दादी-आजी.
एबे खासोत चिकन-चाकन,
नी मनयाओत चोरोटा भाजी.
साग-भाजी खातो बीता,
खुबे लाम उम्मर पाएसे.
पूरे चो नीती नियम सब,
अदाँय हाजते जायसे.
आगे जुग ने तो अप्पड़ रलुँ,
अदाँय तो पडहूँ-लिखूँ.
संवसार कितरो आगे बड़ली,
दखुन-दखुन बले काईं तो सिखूँ.
चिलम सुरती,
मन्द-सल्फी-लाँदा.
एमन आत जीवना के,
नसातो बीती फाँदा.
जे गियान चो बाट धरेसे,
हुनी खुबे नाव कमायसे.
पूरे चो नीती-नियम सब,
अदाँय हाजते जायसे.
पटकी अकराउन ,
समया पराते परायसे.
पूरे चो नीती-नियम सब,
अदाँय हाजते जायसे.
✍अशोक नेताम "बस्तरिया"
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