रविवार, 7 जनवरी 2018

||प्रियतम को पत्नी का पत्र||

हे प्रियतम!आपके युगलचरणकमलों का सादर वन्दन!

मैं यहाँ सन्तानों के साथ ईश्वरकृपा से सकुशल हूँ,किन्तु हे प्राणनाथ!जब से आजीविका हेतु आपने हमारा त्याग किया है,तब से हमारी दशा अत्यंन्त दयनीय हो गई है.इस शीतकाल में रवि की मधुर रश्मियाँ भी अग्निबाण सी पीड़ादायक प्रतीत होती हैं.आपके स्मरण में दिवस और रात्रि का आभास ही नहीं होता.वाटिका में विकसित कुसुम भी मूर्छित और प्राणहीन से जान पड़ते हैं.शर्करा का स्वाद नीम सा कटु प्रतीत होता है,कोयल की मधुर ध्वनि भी कर्कश जान पड़ती है.
हमारा पुत्र जो वानर की भाँति चंचल है,नित्य पाठशाला तो जाता है,पर वहाँ से वापस आते ही चलित भाषयंत्र से खेलने में लग जाता है या दूरदर्शन पर रोल नं. 21, मोटू-पतलू,डोरेमोन,बेन10 या छोटा भीम के दर्शन करने में लिप्त हो जाता है.दूरदर्शनयंत्र अवरुद्ध कर देने पर वह भूमि पर हस्त-पाद पटक-पटककर कई प्रकार से रुदन प्रदर्शित करता है.विभिन्न प्रकार के यत्न करने पर वह नियंत्रित हो पाता है,तत्पश्चात् ही मैं उसके गृह कार्यों को संपादित करा पाती हूँ.दूसरी सन्तान जो घुटनों की सहायता से गमन करती है.वह भी बड़ी चंचला है.वह गृह के बाहर-भीतर यत्र-तत्र-सर्वत्र विचरण करती है.शीत ऋतु में निर्भय होकर शीतल जल से खेला करती है.और यदा-कदा तो मृत्तिका भी खा लेती है.इन दोनों संतानों की उपद्रवों के कारण मैं अत्यंत चिंतित रहती हूँ.
आपको ये सब पढ़ते हुए अत्यन्त आश्चर्य होगा कि इस कलयुग में जब संपूर्ण विश्व यंत्रों और संचार साधनों का उपयोग कर रहा है,मैं पत्र व्यवहार किसलिए कर रही हूँ.परंतु हे प्राणेश्वर!हमारे ग्राम में अंतर्जाल की विकट समस्या के कारण मैं ऐसा करने को विवश हूँ.
प्रियतम चूँकि नववर्षागमन के पश्चात् भी हम जीर्ण-शीर्ण वस्त्राभूषणों में ही निर्वहन कर रहे हैं,अत: औरों को सुसज्जित और सुन्दर देखकर हमारे हृदय में ईर्ष्या की भयंकर अग्नि प्रज्वलित होने लगती है.
प्रियवर मुझे कुछ वस्त्र,आभूषण शाक व पुत्र हेतु लघु द्विचक्रवाहन क्रय करने हेतु १०००० पत्र मुद्राओं की बड़ी आवश्यकता है.
उक्त राशि धन आदेश द्वारा प्रेषित करें या सीधे मेरे ग्रामीण कोष के खाते में स्थान्तरित कर दें.मैं आपको आश्वस्त करती हूँ कि आगामी तीन मास तक मैं आपके समक्ष किसी भी प्रकार की कोई माँग नहीं रखूँगी.
पुन:आपके चरणस्पर्श!

आपकी सहचरी
     सुशीला

✍अशोक नेताम "बस्तरिया"

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