गुरुवार, 4 जनवरी 2018

||संगे मंडई जावाँ||

सुखमती सुन संगे सायकिल ने,
सातगाँव मंडई जावाँ.
गोठ गोठयावाँ-गीद गाँवा,
आलू भजया खावाँ.
फूल-फर,फोटो-फुगा,
फीता-फुंदरी  धरवाँ.
मुचकी मारवाँ मनमना,
मनभर मंजा करवाँ.
NO नी कर,नोनी निकर घर ले,
पयसा जब ने धरलेंसे.
खाजा खोवाउक-खिलवाँ पिंदाउक,
मैं बनी भूति करलेंसे.
बाप चो बेटा मैं बस्तरिया,
बिस्वास मचो तुय कर.
लिपिसटिक लगाव-लाल लुगा पींद,
लाल झोरा के धर.
पताय पतयाइस नहीं जाले,
बलेंसे सत्ते पासे पसतासे.
हींडते-हींडते,हाय-हाय करते,
एकलोय गागते मंडइ जासे.

✍अशोक नेताम "बस्तरिया"

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