गुरुवार, 18 जनवरी 2018

||हाइकु||

रुकना नहीं.
सामने पर्वत हो.
झुकना नहीं.

बाहर नहीं.
सुख है अंतर में,
खोजो मिलेगा.

पुस्तक मित्र.
सब छूट जाएँगे.
ये होंगे साथ.

हँसो-हँसाओ.
हँसना औषधि है.
सबको बाँटो.

हाथ की रेखा.
नहीं बनाती भाग्य.
तू कर्म कर.

प्रेम है रब.
कर उसकी पूजा,
मिलेगा सब.

गर्व न कर.
अपने तन पर.
ये तो मिट्टी है.

अशोक नेताम "बस्तरिया"

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