मंगलवार, 26 फ़रवरी 2019

||पूनि होयदे||

अघन महीना,पूनि दिन.
उदलिसे पंडरी जोन सुँदरी.
कोठार ने बिकरलो आसे धान.
बैला मन के हाँकुन,
हुता बेलन किंजरालो मालू.
झड़ली धान तेबे
आपलो बायले-पीलामन संग,
फोपड़ुन-सकलुन,गुचालो पैरा मन के.
खिंडिक पैरा के जराउन,
मालू बनालो करया मस.
आउर धान दीबा चो एक भोंआर,
झीकलो डांड.
बलुन कि चोरुन नी नेओत,
डुमा मन हुनचो धान के.
आउर बनालो पैरा के अलटुन,
एक झन डोकरा.
हुन करुआय राखा अदाँय,
धान के रात भर कोठार ने.
पाछे मंगलदई भात आनली,
पूरे दिली हुन भात डोकरा के.
फेर जमाय झन संगे बसुन खादला,
भात-साग हुनि लगे.
काय मंजा साग,
कोचई संग झिर्रा टोपा.
पीला मन सवला,
ओड़ुन साल के.हुनि आगि धड़ी.
आमा रुक खाले बसलासत
मालू अरु मंगलदई.
आगि लुठा डिगडिगलिसे.
मंगलदई बलली-
"कमउन्से कितरो साल ले,
फेर छेरी चो लेंड़ी चारेच अंगुर.
आमचो जीवना ने बले केबेय पुनि होयदे?"

"पुनी होयदे रे होयदे.
आमि पीलामन के इसकूल पठाउनसे.
आपुन भुके रहुन हुन मनके खोआनसे.
दखसे एइ मन काली गियान पाउन,
आमचो जीवना ने उजर भरदे.
आउर अछा काम करुन,
आपलो नाव के अम्मर करदे."
मालू बिस्वास करुन बललो.

✍अशोक नेताम "बस्तरिया"
(फोटो:-इन्टरनेट से)

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