न आँकिए किसी को
उसके मलिन वस्त्र-अर्धनग्न तन से.
क्योंकि निर्धनता का,
तनिक भी संबंध नहीं है धन से.
अन्यथा एक संपन्न व्यक्ति,
संसार का सबसे सुखी प्राणी होता.
और विपन्न व्यक्ति,
जीवन भर अपने अभावों पर रोता.
संतोष ही जीवन का,
सर्वोत्तम धन है.
ये नहीं जिसके पास,
समझो वही निर्धन है.
उसके मलिन वस्त्र-अर्धनग्न तन से.
क्योंकि निर्धनता का,
तनिक भी संबंध नहीं है धन से.
अन्यथा एक संपन्न व्यक्ति,
संसार का सबसे सुखी प्राणी होता.
और विपन्न व्यक्ति,
जीवन भर अपने अभावों पर रोता.
संतोष ही जीवन का,
सर्वोत्तम धन है.
ये नहीं जिसके पास,
समझो वही निर्धन है.
(तस्वीर:किरन्दुल बाजार स्थल)
ए.के.नेताम
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