मंगलवार, 26 फ़रवरी 2019

||धान मिसाई||

छत्तीसगढ़ में धान,मक्का,ज्वार,कोदो-कुटकी,मंडिया,रामतिल,तिल,उड़द,मूँग,कुलथी
जैसे अनाज,दलहन व तिलहन फसलें उगाई जातीं हैं.
धान प्रमुख फसल होने के कारण यह धान का कटोरा कहलाता है.आजकल धान की कटाई के बाद धान मिसाई का काम जोरों पर है. धान मिसाई के कई तरीके यहाँ प्रचलित हैं.

आइए कुछ तरीकों के बारे में जानें.

1.आदमी के पैरों से:-पकने की अवधि के आधार पर धान दो तरह के होते हैं.लम्बी अवधि में तैयार होने वाला धान माई व जल्दी पकने वाला धान तुरिया कहलाता है.तुरिया धान मैदानी इलाकों में व बहुत कम मात्रा में बोया जाता है.बस्तर में इसकी मिसाई पैरों से ही कर ली जाती है.

2.दौरी फाँदना:-कोठार के बीचों बीच लकड़ी का एक खंभा होता है.खंभे से रस्सी द्वारा तीन-चार बैलों को जोड़कर धान के उपर चारों ओर घुमाया जाता है. धान के अलग हो जाने तक यह प्रक्रिया चलती रहती है.

3.बेलन द्वारा:-कोठार में धान की बालियों को गोलाई में बिखेर दिया जाता है.फिर बेलन की सहायता से धान की मिजाई की जाती है.बैलों को पीछे से या बेलन के ऊपर बैठकर हाँका जाता है.धान अलग हो जाने तक फसल को दो-तीन उलट-पलटकर उस पर बेलन चलाया जाता है.

4.ट्रैक्टर द्वारा़:-ट्रैक्टर से की जाने वाली मिसाई भी बिल्कुल बेलन की मिसाई के समान है क्योंकि इसमें भी वही क्रम अपनाना होता है.अंतर बस इतना है कि इससे कम समय में उसकी अपेक्षा अधिक काम हो जाता है.

5.थ्रैशर से:-मशीनों ने आदमी के जीवन को एकदम अासान बना दिया है.अब धान की मिसाई के लिए लोग थ्रैशर मशीन का ही उपयोग करते हैं.यह सबसे कम समय लेता है.इसमें चावलयुक्त व चावलरहित धान स्वत: अलग हो जाते हैं.जबकि अन्य तरीकों में धान को सूप या पंखे की सहायता से अलग करने की विधि अपनानी पड़ती है.

आज वैज्ञानिक तरीकों ने मनुष्य की जीवन शैली को बदल दिया है.आज आदमी के पास समय ही समय है.पर ये उसी पर निर्भर है कि वह उस समय का सदुपयोग करे या दुरुपयोग.

✍ अशोक नेताम "बस्तरिया"

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