मंगलवार, 26 फ़रवरी 2019

||मय बोट दएँदे||

मय बलते रहें कि
एसु बोट नी दँयें.
मान्तर अदाँय,
मँय बोट देउ चे आँय.
बोट दिन लाइन ने ठाड़े रहुन,
अरु धरुन बोटर कारड के.
मय दखेंदे बाट ,
मचो बोट देतो पारी अमरतो चो.

हुसने,
जसन बाट दखलें मैं तुचो,
मचो सकत भर.

बोट अमरलो ने जसन,
नेतामन छोलसत बड़े-बड़े.
असन करेंदे,उसन करेंदे.
जे माँगासे,हुन दँयदें.
आउर जीतने ने हुनिमन,
मुरुम सड़क ने धुड़का उड़ाते,
टींट-टींट करते जासत,
झाकुन दखत बले नहीं.
पूछत नहीं
कि कोन जिवला-कोन मरला
हुनि नेता असन तुय बले,
मके दिलीस धोका.
दखाउन रंग-रंग चो सपना.

मके छांडुन एकलाय,
होउन गेलिस आउर चो.
तुय काय जानिस आज कितरो,
चिपा होयसे मके दार-चाउर चो.
हाय तुके मय नी चिनलें.
तुचो असन लबरा के पतयालें.

मचो एक झन चो,
बोट नी दीलो ने,
राजा बनुन जायदे,
तुचो असन चो कोनी ठग.
आउर पाँच साल चुहकेदे,
गरीब जनता चो रकत के,
पानी चो जड़ु असन.

हुनि ने बारा तारिक ने,
एक दिन काजे,
मचो जमाय काम के छाँडुन,
मय बोट देउक जायँदें.
बोटिंग ठान ने जाउन, ,
मसीन चो बटन के चेपाँयदे.
आउर अंडकी चो सिहई के,
सबके हरिक होउन मय दखाँयदे.

✍अशोक नेताम "बस्तरिया"

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