बुधवार, 27 जून 2018

||मचो गोट||

जेठ चो महीना चलेसे नौतप्पा ने जमाय झन चो बाय उमजलिसे.काय काज कि एदाँय पूरे चो खपरा बीती घर मन हाजला आउर सबाय सिरमिट सीट बीती छावन बनाला.राति बेरा बले देंह पसना-पसना होउन जायसे.लकलक लकलक घाम बेरा रुक साँय ने बसलोने जीव के खुबे अराम मिरेसे.मान्तर आमचो सुख-दुख संगवारी रुक-राई मनके बले आमि धीरे-धीरे सारते जाउन्से,ए निको नुहाय.

अदाँय पूनी होलो ने असाड़ मइना समेदे.बादर गरजुन गरजुन पानी घसरायदे अरु सुरु होयदे खेती-कमानी.एबे किसान भाई मन गोबर खत आपलो-आपलो बेड़ा ने अमराला.आउर कएक झन दादा मन धान बुनुक बले मुरयाला.अदाँय 5-6 मइना किसान मन के पत्ताय नी फाबे.नांगर,बियासी,थरहा मतातो,थरहा लगातो,निंदाई-कटाई ले धरुन मंजई होत ले काकय सुगुम नी लागे.

बरसा होलोने रुक राई हरिक होउन जासत.पसु जानवर मन के नंगत चारा मिरेसे.खमन ने काँदा,भाजी,बोड़ा,फुटु असन कएक परकार चो तीजमन मिरसत जेके आमि साग रांधुन खाउन्से.अइ बेरा आमि गोंचा,अमुस,नवाखई,दसराहा,दियारी असन तिहार मन बले मानुन्से.

जीवना अमदाहा हुसनय चे नी रय.घाम ले बरसा,अरु बरसा ले सीतकार अएसे.हुसनय चे मनुक जीवना ने सुख-दुख एते रयसे.मान्तर सुरता राखा सुख पाउन ठाब ने रतो आउर दुख मिरलोने गागतो नुहाय.सबाय संग मिलुन-मिसुन अरु हरिक ने जीवना जीवतोर आय.

✍अशोक नेताम "बस्तरिया"

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