मनुक आस तुय डंड होतो के नी डर,
गागलोय बीता तो एक दिन हासेसे.
भात-पेज देस खुबे मया कर हुनके मांतर,
बयहा होलो ने कुकुर घरबीताय के चाबेसे.
मीटे-मीट मंजा नी दय ना भाई जीवना ने.
रोजे चाकलेट खादलोने ने दात कुहुन जाएसे.
जमाय काम करा ना तुमि सहीं समया ने,
बत्तर मोहका ने बुनलो धान झटके जागेसे.
आपलो मन भीतर होउक नी दिहा काना,
बेड़ा चो पार फुटलोने ने पानी कहाँ थेबेसे.
करम करा रोजे ओगाय बसुन नी रहा,
रोजे काम ने एतो कडरी छक-छक लागेसे.
सब लगलासत खेलतो ने आपलो मोबइल के,
अरु बलसत आमके आजकल कहाँ फाबेसे.
अशोक नेताम "बस्तरिया"
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