राति होली कि बरला,
डोंगरी उपरे रंग-रंग चो लाइटमन.
लागेसे असन,जसन अकास ने निकरला
कई किसम चो तारामन.
चोबीस घंटा चीरसत
बड़े-बड़े कलमन,
लोहा डोंगरी चो देंह के.
किंरडा होलो देंह चो मासमन के लतुन,
रेलगाड़ी रोजे गरजते नयसे जपान.
आमचो ओग्गय रतो कारन,
आजि इलीसे असन समया.
आमचो आय लोहा मान्तर,
आमि चे होलूँसे बे कमया.
आज बले कएक सुबिधा नी मिरे,
इता चो माड़िया,मुरिया,गोंड के.
आमि बस्तरिया लोग दखतो ने आसुँ,
सादय एचो-हुनचो टोंड के.
अशोक नेताम "बस्तरिया"
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