बुधवार, 27 जून 2018

||सद्गुणों से बनें महान||

"पापा आज स्कूल में हमारे शिक्षक बता रहे थे कि हमें गाँधी,सुभाष,गौतम,कलाम जैसे महापुरुषों के जैसा बनना चाहिए.क्या हम उनकी तरह का वेश धारण कर उनके जैसा बन सकते हैं?"

पाँच साल के बेटे ने अपने पिता पूछा.

"बेटा पहले ये अंगूर खा लो फिर मैं आपके प्रश्नों के उत्तर दूँगा."-कहते हुए पिता ने हाथ में रखा अंगूर का गुच्छा बेटे की ओर बढ़ाया.

बेटा खुश होकर अंगूूर की ओर  लपका,पर अंगूर मुँह में डालते ही वह समझ गया ये अंगूर तो नकली हैं.(दरअसल वो चाबी रिंग में लटके अंगूर के गुच्छे थे जो बिलकुल असली नजर आ रहे थे)

"पापा ये तो नकली अंगूर हैं."बेटे ने कहा.

"हाँ बेटा.जिस तरह ये दिखने मात्र से अंगूर नहीं बन गया.क्योंकि इसमें मिठास तो है ही नहीं.उसी प्रकार  हम किसी महान व्यक्ति की तरह दिखने मात्र से नहीं बल्कि उनके गुणों को धारण करके उनके जैसा कर्म करके महान बन सकते हैं."-पापा ने समझाया.

बेटे को बात समझ में आ गई.

अशोक नेताम "बस्तरिया"

कोई टिप्पणी नहीं:

चाटी_भाजी

 बरसात के पानी से नमी पाकर धरती खिल गई है.कई हरी-भरी वनस्पतियों के साथ ये घास भी खेतों में फैली  हुई लहलहा रही है.चाटी (चींटी) क...