"आइग के अजिक फुकुन देस रे बेटा,नाहले भात लोकटी छाँडेदे.".-आया बाहरी गाथते आपलो बेटा के बलली.हुन चूल्हा ने भात मँडउ रहे.लेका चो फुकतो के आइग बुतली.
"आया मैं फुकलें तो मान्तर आइग तो बुतली."बेटा बललो.
"हुसन नुहाय बेटा!अजिक धीरे-धीरे आउर लाम साँस धरुन फूक तेबे आइग धरेदे."आया बलली.
लेका हुसने करलो आइग तुरते धरली.
लेका हुसने करलो आइग तुरते धरली.
आया बलली-"बेटा सनसार में काईं तीज उबुकनाय नी मिरे.काँई बले काम धीर धरुन मिहनत करलोने ने पुरा होयसे.बलसत नइ कि-धीर ने खीर."
✍अशोक नेताम "बस्तरिया"
(फोटो:-इन्टरनेट से)
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