सोमवार, 10 अप्रैल 2017

||पिता को मिली सीख||

बाथरूम से राकेश जैसे ही नहा कर बाहर आया,डाइनिंग रूम का दृश्य देखकर वह हतप्रभ रह गया.सामने डाइनिंग टेबल पर शराब की दो बोतलें और दो प्याले रखे हुए थे और वहीं पर ही कुर्सी पर सविता और मनीष बैठकर सिगरेट सुलगाने की कोशिश कर रहे थे.राकेश का मन किया कि वह जाकर उन दोनों को दो चार थप्पड़ रसीद कर दे,पर इस दुनिया में उन दोनों के सिवा उसका कौन था.
उनकी पत्नी शीला पहले ही एक लंबी बीमारी के कारण इस दुनिया से विदा हो चुकी थी.

वैसे राकेश खुद शराब और सिगरेट का आदी था.शीला अंतिम समय तक राकेश से कहती रही कि वह ये सब बुरे लत छोड़ दे.पर राकेश अपनी ही जिद पर अड़ा रहा.
पर वह चाहता था कि उसके बच्चे उसके जैसा नहीं  बल्कि ज्ञानवान,सभ्य व सुसंस्कारी बनें.

इसलिए उन्होंने अपने दोनों बच्चों सविता और मनीष को "संस्कारशाला"नाम की एक निजी विद्यालय में भर्ती कर दिया था.
कल ही उसके दोनों बच्चे गर्मी की छुट्टियों में अपने घर आए हैं.और आज ही सिगरेट के छल्ले उड़ाने कोे उसके पापा के सामने बैठे हैं.

क्या आज के बच्चों में बिल्कुल भी तहजीब नहीं रह गई है?
क्या यही हैं संस्कारशाला के उच्च संस्कार?

ये निजी संस्थाएं  फीस के रुप में मोटी-मोटी रकम लेकर क्या यही ज्ञान बाँटते हैं?
उसके मन में कई सवाल कौंधे.

राकेश ने  जाकर  तुरंत दोनों के मुंह से सिगरेट खींच लिया और शराब की दोनों बोतलें वापस आलमारी में रखते हुए बोला-" अरे तुम दोनों यह क्या कर रहे थे?
क्या तुम नहीं जानते कि शराब और सिगरेट बच्चों के लिए नहीं है?"

सविता:- पापा हम पी
थोड़ी रहे थे.हम तो बस पीने का अभ्यास कर रहे थे.क्योंकि जब हम बड़े हो जाएंगे तब हम रोज पिया करेंगे.

राकेश:- खबरदार!अगर तुमने जीवन में कभी भी शराब और सिगरेट को हाथ भी लगाया तो?

मनीष:- पर पापा!आप तो रोज ही शराब और सिगरेट पीते हैं?

राकेश:- मैं पीता हूं तो पियुँ,तुम लोग भला क्यों पियो?

सविता:-पापा हमारे स्कूल में बताया गया कि हर साल लगभग 50 लाख लोग शराब,तम्बाकू व सिगरेट आदि के सेवन के कारण मौत के मुंह में चले जाते हैं.और जिनमें से 10 लाख तो केवल हमारे देश के ही होते हैं.

मनीष:- हाँ पापा!हमारी मम्मी तो हमें पहले ही छोड़ कर जा चुकी हैं?यदि कल के दिन आप को भी कुछ हो गया तो हम किसके सहारे जिएंगे?

सविता:-प्लीज पापा अापने जीते जी मम्मी की बात तो नहीं मानी,कम से कम हमारे लिए तो आप इन शराब-सिगरेट जैसी बुरे चीजों का साथ छोड़ दीजिए.पापा क्या ये चीजें आपकी और हमारी ज़िंदगी की खुशियों से बढ़कर हैं?

पापा की आंखों से आंसुओं की धार बह चली.उसने अपने आप को धन्य समझा कि वह ऐसे संस्कारी संतानों का पिता है.
उसने तुरंत ही बच्चों से प्रॉमिस कर ली कि वह आज से कभी शराब, सिगरेट,तंबाकू या अन्य किसी भी नशीली वस्तुओं का सेवन नहीं करेगा.

✍अशोक कुमार नेताम"बस्तरिया"

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