शुक्रवार, 7 अप्रैल 2017

||छत्तीसगढ़ के गौरव||

राम जी का ननिहाल ये,
अगणित वीरों की ये धरा.
वन-खनिज सम्पदाओं और,
प्राकृतिक वैभव से भरा.

गुरू बाबा घासीदास की,
है ये पवित्र धरती.
सद्भाव,भाईचारे का,
सदियों से प्रसार करती.

करते हो यदि भावपूजन,
तो इसका कुछ अर्थ है.
किंतु मात्र मूर्ति पूजा,
ये तो  बिल्कुल व्यर्थ है.

न मनुज बड़ा कोई जन्म से,
बड़ा न कोई जाति-धर्म.
मनुष्य बड़ा है वही,
जिसके नेक हों कर्म.

पावन,ऊर्वर,सुन्दर,
ये छत्तीसगढ़ माई.
अरपा नदी तट पर,
जन्मी यहीं बिलासा बाई.

मुख था सुन्दर जिसका,
ज्यों हो कोई सोना खरा.
पुष्पित वेणी,मुस्कान मधुर,
मानो हो कोई स्वर्ग की अप्सरा.

मत्स्याखेट की कला में,
नहीं था उनका कोई सानी.
तभी तो है जीवित आज भी,
उसके हुनर की कहानी.

जन्में यहीं चम्पारण्य में,
गुरू वल्लभ आचार्य.
कृष्ण की भक्ति जिनके लिए,
थी बिल्कुल अपरिहार्य.

जिसने भ्रमित दुनिया को,
पुष्टि का मार्ग दिखाया.
भगवत् भक्ति को जिसने,
ईश प्राप्ति का साधन बताया.

कृष्ण,सूर,कुंभन,
परमानंददास के,ये थे गुरू.
जिनकी कृतियों से भक्तिकाल में,
हुआ एक नया युग शुरू.

माधव राव सप्रे सरीखा,
साहित्य रत्न भी यहीं पैदा हुआ.
लेखनी से जिसने अपने,
नई ऊँचाईयों को छुआ.

"एक टोकरी भर मिट्टी"जिसमें,
व्यक्त हुई  है एक बुढ़िया की व्यथा.
हिन्दी साहित्य इतिहास की,
यही तो है प्रथम मौलिक कथा.

यहीं हुआ एक और लाल.
नाम था जिसका पंडित सुंदरलाल.

सेवा,सत्य,अहिंसा को ही,
जिसने अपना धर्म जाना.
इनसे प्रभावित होकर,गांधी जी ने,
इन्हें अपना गुरु माना.

कुरीतियों  के विरोधी और,
सामाजिक क्रांति के ये थे अग्रदूत.
जीवन व्यतीत किया,परहित में,
थे ये मातृभूमि के सच्चे सपूत.

इसी धरा पर सोनाखान में,
जन्मा एक और सिंह.
छत्तीसगढ़ के पहले शहीद ये,
नाम वीर नारायण सिंह.

भूखी जनता का उनसे,
देखा न गया हाहाकार.
उनके पक्ष में उसने उठाया,
शोषकों के विरुद्ध हथियार.

धन्य है वो वीर,
जो औरों के लिए जिया.
और अंत में सहर्ष,
मृत्यु को गले लगा लिया.

बस्तर भूमि पर जन्मा,
एक और बहादुर लाल.
जिसके समय में हुआ था,
प्रसिद्ध विद्रोह भूमकाल.

सर पर साफा और,
हाथों में तीर-कमान.
गुंडाधूर जो था,
बस्तर का स्वाभिमान.

दृढ़ निश्चयी,आत्मविश्वासी,
था वह कर्मठ बड़ा.
आदिवासी अस्मिता हेतु,
जो अंग्रेजों से लड़ा.

जिन्होंने जग में किया ऊँचा,
अपनी जन्म भूमि का माथा.
क्यों न गाएँ हम सब मिलकर,
उनकी गौरव गाथा.

मातृभूमि की रक्षा हेतु,
तत्पर यहाँ अनेक योद्धा.
और भी हुए यहाँ कई,
धर्म,ज्ञान,संस्कृति के पुरोधा.

उनके सत्कर्मों से,
ये भूमि है उपकृत.
गौरवान्वित हैं हम सब इनसे,
न करें इन्हें कभी विस्मृत.

✍अशोक कुमार नेताम "बस्तरिया"
Email:-kerawahiakn86@gmail.com
📞9407914158

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