शनिवार, 15 अप्रैल 2017

||जैसी करनी वैसी भरनी||

2005 की बात है.मैं अपनी साइकिल से तेज रफ्तार से कॉलेज जा रहा था. कोंडागाँव मुख्य मार्ग पर मैंने देखा कि एक दुबला-पतला व्यक्ति स्कूटर को लुढ़काते हुए ले जा रहा था.स्कूटर शायद पंक्चर हो गई थी.उसके पीछे-पीछे एक हट्टा-कट्टा आदमी चल रहा था. पीछे चल रहे आदमी ने मुझे रोका.

उस व्यक्ति की ऊंची कद-काठी,रौबदार आवाज और माथे पर तिलक देखकर ही मैं समझ गया कि यह कोई पढ़ा-लिखा और सभ्य व्यक्ति है.और ये इनसानी फितरत है कि जो व्यक्ति जैसा होता है दूसरे को भी वह वैसा ही समझ लेता है.

उसने पूछा-"क्या आप मुझे लिफ्ट देंगे?"
जरूर-"मैंने कहा."

मेरी कॉपियाँ अपने हाथों में लेकर,वो सायकल के पीछे बैठ गया.उसने बताया कि मैं तो तुम्हें बहुत अच्छी तरह से जानता पहचानता हूँ.उसने मेरा नाम,गाँव का नाम-पता सब बिना पूछे बता दिया.
मैं आश्चर्यचकित था. मैंने किसी पुस्तक में हिप्नोटिज़्म यानी सम्मोहन विद्या के बारे में पढ़ा था की  इस विद्या का  जानकार जादुई शक्तियाँ प्राप्त कर लेता है.मैंने सोचा शायद ये आदमी इसी विद्या का उस्ताद होगा तभी तो इसने मेरे बिना बताए ही मेरे बारे में सब कुछ बता दिया.मैं इतना भी नहीं समझ पाया कि उसके हाथों में मेरे कॉपियां थी जिसमें मेरा नाम और पूरा पता लिखा हुआ था.

"क्या तुम्हारे पास कुछ रुपए हैं?"

"हां यही कोई 50 रुपये जेब में होंगे."

"मुझे 30 रुपये की आवश्यकता है.क्या आप मुझे देंगे?"

"हां,क्यों नहीं?" कौन सी परेशानी आ गई?

"हाँ भाई.तुमने जिस व्यक्ति को अभी-अभी स्कूटर लुढ़काकर ले जाते हुए देखा न,वह मेरा नौकर है.दरअसल मेरी स्कूटर पंक्चर हो गई है.मेरे पास उसे बनाने के लिए रुपये नहीं हैं.मैं तुरंत ही गाड़ी ठीक करा के बस स्टैंड पहुंचुँगा और तुम्हारे रुपए लौटा दूंगा.तुम वहां मेरा इंतजार करना."

एक गैरेज के पास उसने मुझसे साइकिल रोकने को कहा.मैंने उसे तीस रुपए दिए.उसने मुझे हृदय से धन्यवाद दिया और मुस्कुराते हुए मुझे विदा किया.

बस स्टैंड पहुंचने पर मैं लगभग 30 मिनट तक उसके बताए पते पर उसका इंतजार करता रहा.
मुझे कॉलेज के लिए देर हो रही थी. मैंने और ज्यादा इंतजार करना उचित नहीं समझा,मैंने सोचा शायद वो मुझे उल्लू बना गया हो.मैं सीधे कॉलेज के लिए निकल गया.

लगभग दो साल बाद एक दिन जब मैं कोंडागांव जा रहा था.मैंने देखा कि बीच रास्ते पर लोगों की भीड़ लगी हुई है.मुझे लगा कि शायद कोई बड़ी सड़क दुर्घटना हो गई होगी.

पास में एक खड़े भाई से मैंने पूछा:-"क्या हुआ भैया?कोई सड़क दुर्घटना हो गई है क्या?"

उस आदमी उत्तर दिया:-"कोई दुर्घटना नहीं हुई है भाई.बल्कि एक ठग की धुनाई हो रही है,जो लोगों से रुपये लूटा करता है."

उस भीड़ के बीच जाकर मैंने भी उस ठग को देखा.मुझे दो साल पहले की घटना याद आई.
ये वही आदमी था,जिससे मैं भी ठगा गया था.

मेरे मुंह से निकला-जैसी करनी वैसी भरनी.

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