शुक्रवार, 7 अप्रैल 2017

||आत्महत्या आखिर क्यों?||

कल ही मैंने अखबार में पढ़ा कि दंतेवाड़ा जिले में एक विद्यार्थी ने 11वीं कक्षा में दूसरी बार असफल होने पर आत्महत्या कर ली.पढ़कर बहुत दुख हुआ.आज के समय में आत्महत्या एक विकट समस्या बनती जा रही है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन  के द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार  हर साल लगभग 8 लाख लोग आत्महत्या करते हैं जिनमें से 21 फीसदी लोग भारत के होते हैं.यानी कि दुनिया में सबसे अधिक आत्म हत्याएं भारत में होती हैं.
डब्ल्यू एच ओ के आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2012 में भारत में 258075 लोगों ने आत्महत्या की थी।हैरत की बात यह है कि इनमें 1.58 लाख से अधिक पुरुष और एक लाख के करीब महिलाएँ थीं.आत्मघाती कदम उठाने वाले अधिकतर लोग युवा ही होते हैं.

*क्या है कारण?:-*गरीबी,भुखमरी,सूखा से त्रस्त,किसी परीक्षा,प्रेम आदि में असफल,किसी बीमारी से परेशान या फिर किसी के दुर्व्यवहार से व्यथित व्यक्ति सामाजिक एकीकरण के अभाव के कारण स्वयं को अकेला और अलग-थलग अनुभव करता है और इस राह में अपने कदम बढ़ा देता है जो किसी भी परिस्थिति में उचित नहीं है.

*आत्महत्या करने वाले की मन: स्थिति:-*मनुष्य चाहता है कि वह जो भी कार्य करे,उसमें उसे सफलता ही प्राप्त हो,पर वह हर बार वह सफल हो,यह आवश्यक नहीं है.
कई बार व्यक्ति अपनी आशा के विपरीत मिली असफलता से टूट जाता है.उसे अपने हृदय में बहुत गहरी पीड़ा का अनुभव होता है. वह सोचने लगता है कि वह संसार का सबसे अयोग्य व्यक्ति है.
उसका स्वयं की क्षमताओं पर अविश्वास पैदा हो जाता है.उसे लगता है कि अब लोगों का भरोसा उस पर से उठ गया.ऐसे में वह आत्मघाती कदम उठा लेता है.

*क्या ये उचित है?:-* हमारे पौराणिक ग्रंथ कहते हैं कि चौरासी लाख योनियों में भटकने के पश्चात ही मनुष्य की देह मिलती है.इसे हम सत्य मानें या न मानें पर इतना तो तय है कि मनुष्य का जीवन बहुत ही अनमोल है,क्योंकि मनुष्य के पास मन की शक्ति है,जो उसे अन्य जीवों से भिन्न न बनाती है.मानव ही अपने पुरुषार्थ के द्वारा अपने मनुष्य होने को सार्थक कर सकता है.
ऐसे में किसी विपरीत परिस्थिति से घबराकर स्वयं की जीवन लीला समाप्त करने का विचार करना किसी भी स्थिति में सही नहीं है.

वाल्मीकि,अंगुलिमाल,सम्राट अशोक और महान् अकबर ये कभी हिंसा के समर्थक रहे,लेकिन परिस्थिति और समय ने इन्हें ऐसा बदला कि वे पूजनीय हो गए.

क्या पर नारी का हरण करने वाले रावण ने आत्महत्या की?

क्या अपने ही पिता बहन और बहनोई को कारावास में बंद करने वाले दुष्ट कंस ने आत्महत्या की?

क्या आपने ही परिवार के कुल वधू का मान हरण करने की चेष्टा करने वाले दुर्योधन-दुशासन ने आत्महत्या की?

क्या आपने 99 भाइयों की हत्या कर सम्राट बनने वाले अशोक ने आत्महत्या की?

हिंसा के मार्ग पर चलकर जिन्होंने अपना विशाल साम्राज्य खड़ा किया.क्या उस अकबर महान् ने आत्महत्या की?

और अपने पिता शाहजहाँ को 8 वर्षों तक जेल में बंद कर यातनाएँ देने वाले औरंगजेब ने क्या आत्महत्या की?

नहीं न?

फिर हमसे ऐसा कौन सा अपराध हो जाता है,जिससे हम मृत्यु को गले लगा लेते हैं?

यदि गलती हो भी गई है,तो नई शुुरुवात के लिए नए शरीर की नहीं बल्कि पश्चाताप और नई सोच की आवश्यकता है.

खत्म कर दो लेकिन खुद को नहीं,
अपने मस्तिष्क के नकारात्मक विचारों को.

*हम क्या करें?:-*कुछ ऐसे उपाय निम्नलिखित हो सकते हैं,जिन पर अमल कर हम तनाव से दूर रहकर ऐसी विकट परिस्थियों से  बच सकते हैं.

1.नियमित योग व ध्यान करें:- मनुष्य के मन में आत्महत्या का ख्याल चिंता और अवसाद के कारण होता है.ध्यान और योग से मन एकाग्र होता है,मनुष्य के नियंत्रण में रहता है.

2.पुस्तकों को अपना मित्र बना लें:- अच्छी पुस्तकें मनुष्य की सच्ची मित्र होतीं हैं. महापुरुषों की जीवनियां प्रेरक कविताएँ,कहानियां व अन्य प्रेरणादायक लेख अवश्य पढ़ें.

3.अपनी रुचियों को भी महत्व दें:-यदि आप,खेलने,लिखने,गाने,नाचने,चित्रकला आदि में रुचि रखते हैं,तो आप अपने शौक अवश्य पूरे करें.आदमी के शौक उसके तनाव को कम करते हैं.

4.अपना सुख-दुख अपनों से जरुर शेयर करें:- अपनी खुशी और दर्द अपनों के साथ अवश्य बाँटे.इससे आपका मन हल्का हो जाएगा.संभव है अनुभवी लोगों से कुछ उपयोगी सलाह भी मिल जाए.

5.दोनों परिस्थियों के लिए तैयार रहें:- जीवन में होने वाली हर तरह की परीक्षाओं में दोनों परिणामों के लिए तैयार रहें.ये तय कर लें कि सफल होने पर या असफल होने पर आपका अगला सकारात्मक कदम क्या होगा.

6.सोच सकारात्मक रखें:- नकारात्मक विचार को मन में स्थान कभी न दें.हमेशा अच्छा सोचें,अच्छा करें और खुश रहें.

(लेख में प्रदर्शित W.H.O. के आंकड़े इंटरनेट से लिए गए हैं.)

✍अशोक कुमार नेताम "बस्तरिया"
Email:-kerawahiakn86@gmail.com
📞9407914158

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