गुरुवार, 25 मई 2017

||बाहुबली-2 कमाई का भी बाहुबली||

साहित्य व समाज का गहरा संबंध है.ठीक उसी तरह सिनेमा भी साहित्य से अलग नहीं है क्योंकि पटकथा-संवादों व गीतों को तो लिखना ही पड़ता है.जिस प्रकार साहित्य समाज को नई दिशा देने का प्रयास करता है उसी प्रकार सिनेमा से भी हमारा समाज कुछ न कुछ अवश्य सीखता है.

2015 में आई बाहुबली बहुत ही सफल फिल्म रही फिल्म के झरने वाले दृश्य ने तो लोगों को दांतों तले उंगली दबाने पर मजबूर कर दिया था.फिल्म के अंत में जब Conclusion in 2016 दिखाया गया तभी यह तय हो चुका था कि इसका दूसरा भाग जरूर आएगा और यह आया 2017अप्रैल 28 को.

बाहुबली 2 एक बेहतरीन फिल्म है जो दर्शकों को शुरू से अंत तक बांधे रखने में सक्षम है.250 करोड़ में बनी यह फिल्म आज तक 15 सौ करोड़ रुपए से अधिक की कमाई कर चुकी है आइए देखते हैं कि इस फिल्म में क्या है कुछ खास.

पिछली कहानी से आगे इसकी कहानी फ्लैशबैक में शुरू होती है.लगभग हर दक्षिण भारतीय फिल्मों की तरह इस फिल्म में भी अमरेंद्र बाहुबली को बिल्कुल भगवान के समकक्ष माना गया है.फिल्म की शुरूवात  में ही बाहुबली की धमाकेदार एंट्री एक मदमस्त हाथी को वश में करते हुए होती है और उसी दौरान ही दलेर मेहंदी का गाया गीत "जियो रे बाहुबली" चलती है.जो एक तरह से उसकी प्रशस्ति गाथा ही  है.

फिल्म में सभी पात्रों के रोल बेहतरीन हैं.देवसेना यानी कि अनुष्का शेट्टी जो पिछले  फिल्म  में एक बुढ़िया और बंदी के रूप में दिखाई गयी थी,इस फिल्म में उसके सौंदर्य और सँवादों ने तो गजब ढाया है.वह नारी स्वतंत्रता व स्वाभिमान की पक्षधर है.शिवगामी देवी,भल्लाल देव, बिज्जलदेव,कटप्पा सभी के रोल बहुत ही असरदार हैं.

इस फिल्म के दूसरे गीत "कान्हा सो जा जरा" भी भव्य सेट पर फिल्माया गया है.गहनों से सजी-धजी देवसेना का सखियों संग मनमोहक नृत्य व गीत के मधुर बोल आपके मन को छू जाते हैं.
तीसरा गीत "ओ ओ रे  राजा" भी बेहतरीन फिल्मांकन के लिए जाना जाएगा.जलयान में बैठकर अवंतिका और अमरेन्द्र बाहुबली जब महिष्मति नगर लौटते हैं,उसी दौरान यह गीत चलता है.देवसेना द्वारा समुद्री लहरों के बढ़ा देने पर बाहुबली का जलयान को आकाश मार्ग से उड़ा ले जाने वाला यह दृश्य और आकाश में उड़ते हुए पंछी बहुत ही सुंदर लगते हैं.इस गाने की जितनी भी तारीफ की जाए कम है.
देवसेना व अमरेंद्र को नगर से निष्कासन के दौरान चलने वाला गीत "क्या कभी अंबर से सूर्य बिछड़ता है"भी बहुत मर्मस्पर्शी है.

पर इस फिल्म में अवंतिका यानी की तमन्ना भाटिया जो पिछले फिल्म की  नायिका थी इस फिल्म में उसका कोई भी सँवाद नहीं है.

आइए देखते हैं की फिल्म में ऐसा क्या है जो यह मुझे पसंद आई.

नारी अस्मिता:-दक्षिण भारतीय फिल्मों की खासियत है कि उनकी फिल्मों में नारी को प्रति सम्मान दिखाया जाता है.कुंतल देश की राजकुमारी देवसेना का राजकुमार को देखे बिना विवाह प्रस्ताव को ठुकरा देना हृदयस्पर्शी व प्रेरक है.देवसेना जब अमरेंद्र के साथ माहिष्मती वापस आती है तब अपने दिए वचन अनुसार शिवगामी देवसेना को अपने सगे बेटे भल्लाल देव की पत्नी बनाना चाहती है.पर देवसेना इसका प्रतिवाद करती है,अमरेंद्र भी उस के समर्थन में अपनों के विरुद्ध शस्त्र उठा लेता है.इसके फलस्वरूप अमरेंद्र बाहुबली की जगह भल्लाल देव को राजा और अमरेंद्र को सेनाध्यक्ष बनाया जाता है.
देवसेना के गोद भराई के रस्म के दिन भल्लाल देव अमरेंद्र से सेनाध्यक्ष का पद भी छीन लेता है.

और एक अन्य घटना में जब देवसेना सेनाध्यक्ष सेतुपति की उंगलियां काटने के अपराध में राज दरबार में बंदी बनाकर लाई जाती है तब अमरेंद्र बाहुबली का यह कहकर कि नारी का अपमान करने वाले की ऊंगलियाँ नहीं बल्कि गर्दन काट देना चाहिए और यह कहकर वह  तुरंत सेनाध्यक्ष का गला काट देता है यह दृश्य भी प्रभावोत्पादक है.और यह दृश्य हमें नारी के प्रति सम्मान का भाव रखने की शिक्षा देता है.

कर्तव्यनिष्ठा:-मेरी दृष्टि में कहानी बहुत अर्थों में महाभारत से साम्य रखती है.कटप्पा,शिवगामी आदि ने अपने कर्तव्यों का निर्वहन ही किया.किंतु शिवगामी की आंखें अपने सगे बेटे के षड्यंत्र को ताड़ नहीं पाती.
अपने पति और बेटे के उकसावे में आकर उसने अपने प्रिय अमरेंद्र बाहुबली को समाप्त करने के बारे में सोचा.उसने यह काम कटप्पा को सौंपा.कटप्पा मजबूर था क्योंकि वह केवल दास था और राजाज्ञा ही उसके लिए ईश्वर की आज्ञा थी.

हृदयस्पर्शी:-मेरी नजर में किसी भी फिल्म की सार्थकता तभी है जब उससे आपका हृदय द्रवित हो,आपकी आंखों से आंसू बह निकले.इसमें भी ऐसे कई दृश्य आते हैं जब आपकी आंखें गीली हो जाती हो.भल्लाल व बिज्जलदेव  शिवगामी को बताते हैं कि राज्य से निष्कासित अमरेंद्र भल्लाल देव की हत्या करना चाहता है.शिवगामी कटप्पा को बाहुबली को मारने को हुक्म देती है.कटप्पा के असमर्थता जताने पर शिवगामी कहती है कि अन्यथा मैं बाहुबल की हत्या करूँगी और इस तरह बेचारा कटप्पा अपने प्रिय भांजे की हत्या को मजबूर हो जाता है.धोखे से अमरेंद्र की हत्या कर जब कटप्पा रक्त रंजित तलवार को फर्श पर घसीटते हुए शिवगामी को बाहुबली की मृत्यु का समाचार सुनाता है और साथ ही भल्लाल देव और बिज्जलदेव के षड्यंत्र की जानकारी देता है,तो शिवगामी के जैसे प्राण ही सूख जाते हैं,उसकी ममता छलक उठती है,एक माँ के चेहरे के करुण भाव देखकर दर्शकों का हृदय पीड़ा से भर उठता है.

देवसेना बंदी बना ली जाती है.शिवगामी अपने पोते को बचाते हुए अपने प्राण त्याग देती है.अमरेंद्र बाहुबली के मरने के बाद बाहुबली 2 की कहानी वर्तमान में लौट आती है.

उसके बाद लगभग आधे घंटे तक क्लाइमेक्स में महेंद्र बाहुबली और भल्लाल देव की सेनाओं के बीच की लड़ाई दिखाई गई है.कंप्यूटर के माध्यम से क्लाइमेक्स को बहुत ही बेहतरीन तरीके से शूट किया गया है.फिल्म के आखिर में उन्हीं लकड़ियों के चिता पर भल्लाल देव जलकर मर जाता है जिन लकड़ियों को 25 सालों से देवसेना ने इकट्ठा किया था.

मैंनेे  मोबाइल पर ही पढ़ा था कि फिल्म के खलनायक यानी कि भल्लालदेव का रोल निभा रहे राणा दग्गुबति एक आंख से ही देख पाते हैं और वह आँख भी किसी के द्वारा डोनेट की गई है,पर फिल्म में उसका प्रदर्शन बहुत ही गजब का है.

चलते-चलते एक बात और,पता नहीं कि इस बात में कितनी सच्चाई थी पर फिल्म बनते समय यह बात बहुत वायरल हुई थी कि इस फिल्म में हमारे छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले के हांदावाड़ा जलप्रपात का सौंदर्य दिखाई देगा.किसी फिल्मी पर्दे पर अपने बस्तर के मनमोहन झरने को देखना कितना सुखद अनुभव होता न?पर अफसोस कि ये नहीं हो सका.

और एक खबर सुनाई दी थी कि इस फिल्म के पहले दिन के 121 करोड़ सुकमा नक्सली हमसे में शहीद परिवारों को सहायतार्थ दिए गए.पर यह खबर भी बाद में झूठी निकली.

कुछ भी हो,पर यकीन मानिए कि एस.एस.राजामौली की यह फिल्म थियेटर में जाकर देखना कोई घाटे का सौदा नहीं है.

✍ अशोक नेताम "बस्तरिया"
📞9407914158

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