सोमवार, 15 मई 2017

||पीला बेरा चो समया,फेरे एती बने बोहड़ुन||

बुलतूँ संगवारी मन संग खमना ने.
चिपटी ने नोन मिरी गोंदरी आउर तुमा ने,
काय मंजा सित्तर,मँडया-गहुँ चो पेज धरुन.
पान, दतुन, बोड़ा, कोसा,धूप खोजतूँ.
चार,चड़इ जाम खातूँ,
रुक ले टोड़ुन टोड़ुन.
पीला बेरा चो समया,
फेरे एती बने बोहड़ुन.

खमन चो बाँस्ता, बोहार,पेंग भाजी,
मेटुआत आमचो भूक.
आमचो जीवना आत ए टेमरू,सरगी,सिवना,साहजा,
आउर कएक किसम चो रुक.
लमहा पाटे परातूँ, रामी-पंडकी धरतूँ.
आनतूँ आमि आपलो घरे,
पीता  कांदा खोड़ुन.
पीला बेरा चो समया,
फेरे एती बने बोहड़ुन.

माय बाप जे के नी करा बलता हुनके करतूँ.
आमि काकय फेर काय काज डरतूँ.
नंदी ढोड़ी में दिन भर ढोपकतूँ.
मसरी, केकड़ा,घोंघा धरतूँ.
बरसा पानी ने छम छम नाचतूँ,
साता, सत्तोड़ी ओड़ुन.
पीला बेरा चो समया,
फेरे एती बने बोहड़ुन.

मिरती फेर आया चो कोरा.
जुहातूँ बुलुन-बुलुन सरगी,महु,टोरा.
नानी-नानी पाँय ने हींडते बाटे-बाट.
जातूँ बिहाव,सगा, मंडई,हाट.
नांगर,आँगा,गाड़ी बनातूँ,
लकड़ी जोड़ुन जोेड़ुन.
पीला बेरा चो समया,
फेरे एती बने बोहड़ुन.

✍अशोक नेताम "बस्तरिया"

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