शुक्रवार, 12 मई 2017

||अर्थी||

था तन  रथ
और थी,आत्मा रथी.
आज देह है मृत,
बिन सारथी.
है रथ व्यर्थ,
बिन अ रथी.
है तैयार जाने को शमशान,
आज अर्थी.

✍अशोक नेताम"बस्तरिया"

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