किसी के आचरण पर,
कहते हैं लोग.
...उसका बाप था.
...उसका बेटा था.
..उसका भाई था.
...उसका पति था.
...उस परिवार का था.
...उस समाज का था.
...उस जाति का था.
...उस धर्म का था.
...उस गाँव का था.
...उस देश का था.
सत या असत,
करते हम जैसा भी कर्म.
होती उस से अपनों को भी,
खुशी या शर्म.
तो क्यों न हम,
बुराईयों से डरें.
और सदा,
अच्छे कर्म करें.
✍अशोक नेताम"बस्तरिया"
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