न कल तुम थे मेरे,
आज भी तुम मेरे हो कौन?
जब मैंने कही तुमसे हृदय की बात,
उस दिन तो तुम थे मौन.
तुमसे तो है श्रेष्ठ,
मेरा यह एकाकीपन.
कि है जिसके चंगुल में,
अब भी,मेरा तन-मन.
✍अशोक नेताम"बस्तरिया"
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