नहीं है साधन सोचकर
बैठ व्यर्थ समय न खोना.
किसी भी असफलता से,
कभी तुम निराश न होना.
क्योंकि असफल व्यक्ति ही,
चखता है सफलता का स्वाद.
एक प्यासा ही,
जान सकता है जल का महत्व.
एक भूखा ही जानता है,
भोजन करने का आनंद.
एक परास्त प्रेमी ही,
जानता है सच्चे प्रेम की परिभाषा.
एक अंधा ही अनुभव कर सकता है,
एक लाठी की महत्ता.
इसलिए वर्तमान परिस्थितियों पर,
न कर फीका अपना सुन्दर मुख.
वो आता है तो,और भी मुस्कुरा
खुद भयभीत हो,भाग जाएगा दुख.
सतत कर्म कर,मन में धीरज धर,
आज नहीं तो कल,अवश्य मिलेगा तुझे सुख.
✍अशोक नेताम"बस्तरिया"
कोण्डागाँव(छत्तीसगढ़)
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