शनिवार, 22 जुलाई 2017

||करते रहें आत्म मूल्यांकन||

विद्यार्थी हो,कृषक हो,या फिर कोई वैज्ञानिक.एक लक्ष्य निर्धारित करे बगैर कोई भी अपना कार्य नहीं करता.
विद्यार्थी एक लक्ष्य निर्धारित करता है कि वह इस वर्ष अधिक से अधिक अंकों के साथ सफलता प्राप्त करेगा.वहीं एक कृषक की अभिलाषा होती है कि उसे आपेक्षित उपज प्राप्त हो.साथ ही वैज्ञानिक अपने नित-नए प्रयोगों से अपने खोज अथवा शोध को पूर्ण करना चाहता है.
परिणाम आने पर वे अपने कार्यों का विश्लेषण और मूल्यांकन अवश्य करते हैं.जहां असफल होने पर वे असफलता के कारणों को खोजते हैं,वहीं सफल होने पर और अधिक प्रोत्साहित होते हैं.अपना मूल्यांकन करने पर व्यक्ति को अपनी दुर्बलताओं और शक्तियों का पता चलता है. जिसे जानकर व्यक्ति सफलता के दिशा में अग्रसर होता है.

हर मनुष्य को चाहिए कि वह अपना लक्ष्य निर्धारित करें. प्राय: हम या हमारे मित्र चौक-चौराहों पर बैठकर किसी की निंदा करते हैं,अथवा व्यर्थ की बातें करते रहते हैं.हम इस बात पर चर्चा करते हैं कि उनके घर का लड़का शराबी जुआरी है.फलां के घर लड़की या लड़का बिगड़ गया.अरे वह तो बहुत कंजूस है आदि-आदि.पर कभी हम अपने बारे में नहीं सोचते .हम इस बात पर चर्चा नहीं करते कि हमारा जीवन किस प्रकार सुधरे,हमारे समाज,देश का उत्थान किस प्रकार हो.

आज मानव कमजोर या दुर्बल नहीं है.बल्कि दुर्बल है उसकी सोच.आवश्यकता है तो बस अपने चिंतन को सकारात्मक दिशा में मोड़ने की.आज हम जैसे हैं,बहुत हद तक वैसा ही हमारी भावी पीढ़ी बनेगी.इसलिए क्यों न हम आज से ही अपने विचार-चिंतन व कर्म को सुधारने का प्रयत्न करें.

हम समय-समय पर आत्म मूल्यांकन अवश्य करें. उस परम शक्ति का धन्यवाद करें कि जिसने हमें दुर्लभ मानव शरीर प्रदान किया है.यदि हम मानवीय मूल्यों को धारण कर सकें,हमारा जीवन औरों के काम आ सके,तभी हमारा मानव होना वास्तव में सार्थक है.

✍अशोक नेताम"बस्तरिया"
     कोण्डागाँव(छत्तीसगढ़)

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