मंगलवार, 4 जुलाई 2017

llछत्तीसगढ़ में पूर्ण शराबबंदी?(व्यंग)ll

अभी कुछ दिनों पहले अखबार में पढ़ा कि छत्तीसगढ़ में पूर्ण शराबबंदी करवाई जाएगी.ये खबर पढ़कर मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई.प्राइवेट शराब दुकानों को बंद करवाना क्या  हम शराबियों पर कम जुल्म था,कि अब सरकार मदिरा का अस्तित्व ही समाप्त करने पर तुली हुई है.

निजी मदिरालय बंद होने के कारण हमारा जीवन किस प्रकार प्रभावित हुआ है,ये तो हम ही जानते हैं.शराब दुकानें बंद होने के बाद ऐसे कई ढाबे-होटल आदि भी बंद हो गए हैं,जहां हमें अद्भुत-अलौकिक अमृत रस प्राप्त होता था.

सचमुच पूर्ण शराबबंदी की बात अन्यायपूर्ण है.भले ही गुजरात और बिहार ने पूर्ण शराबबंदी की हो किंतु,उन का अंधानुकरण किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है.
सरकार को कम से कम उन लोगों के बारे में तो जरुर सोचना चाहिए,जिनकी सुबह और शाम,शराब के जाम से ही होती है.शराब कोई खराब चीज नहीं है,बल्कि इनसे कई फायदे हैं.इसकी दो घूँट सारी चिंता पल भर में दूर कर देती है.इसे पीकर मन की बरसों से अटकी बात जुबान तक पहुँच पाती है,और इसके नशे के कारण गली का कुत्ता भी थोड़ी देर के लिए ही सही,शेर की तरह गरजने लगता है.

कुछ दिनों पहले मेरा एक इंटरव्यू था. बड़ा टेंशन था.मैं ठहरा डरपोक. पूछने वाला जाने क्या पूछ ले?मैंने एक उपाय सोचा.क्यूँ न दो-चार पैग लगाकर जाया जाय.
ऐसा करके मैं जब इंटरव्यू कक्षा में गया तो मेरे जवाब सुनकर सामने वाला दंग रह गया. आश्चर्यजनक रूप से मैं उसके पूछने से पहले से ही सारे जवाब दे देता था.हां! ये बात और है कि मैं सुरूर में कुछ ज्यादा ही कह गया.इसलिए मेरी नौकरी का सारा सपना,जैसे  पानी में बह गया.

यदि शराब न रहा तो लोग शिक्षित होने लगेंगे,विकास की गंगा बहने लगेगी.और मैं ऐसा नहीं चाहता.भला हमें परिवर्तन की क्या आवश्यकता है?हमें तो वही घिसा-पिटा और पशुतुल्य जीवन जीने में ही मजा आता  है.
नशे में कई बार खंभों से टकराने या पहिए की तरह लुढ़कने के आनंद का अनुभव क्या होता है,तुम क्या जानो चुन्नी बाबू.

प्यारे शराबी साथियों!जिस तरह कामगारों और कर्मचारियों के संगठन होते हैं न.उसी प्रकार हमें भी एक संगठन बनाने की आवश्यकता है,ताकि हम भी अपनी मांगें सरकार के सामने रख सकें.बल्कि मेरा तो ये विचार  है कि एक "अखिल भारतीय मदिरा प्रेमी दल" का गठन किया जा सकता है क्योंकि देश भर में हमारे लोगों की संख्या बहुत अधिक है,जो वास्तव में उत्साहजनक है.

साथियों!हमें आने वाले दिनों में शराबबंदी का पुरजोर विरोध करना है,ताकि हम शराबियों का अस्तित्व न मिटने पाए.

छीन नहीं सकता कोई भी,हमसे अपना निवाला.
न छोड़ा है न छोडेंगे,अपना देवालय,मधुशाला.

(अभी थोड़ी ज्यादा चढ़ गई है.बाकी बाद में लिखूंगा)

✍अशोक नेताम"बस्तरिया"
📞9407914158

कोई टिप्पणी नहीं:

चाटी_भाजी

 बरसात के पानी से नमी पाकर धरती खिल गई है.कई हरी-भरी वनस्पतियों के साथ ये घास भी खेतों में फैली  हुई लहलहा रही है.चाटी (चींटी) क...