मंगलवार, 4 जुलाई 2017

||ज़मीं या फ़लक||

मेरे लाल है तुझमें,
पढ़ने की ललक.
तुझमें देखता हूं मैं,
तुम्हारे सुनहरे कल की झलक.
पर ये तो तुम तय करोगे,
कि पाना है क्या,ज़मीं या फ़लक?

✍अशोक नेताम"बस्तरिया"
📞9407914158

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