बहुत कुछ मिला तुमसे और,
बहुत कुछ मुझे मिला नहीं.
फिर भी ऐ मेरे ईश्वर,
मुझे तुमसे कोई गिला नहीं.
क्योंकि आज थोड़ा,
जो कुछ भी मेरे पास है,
कई विहीन हैं उनसे,
अधूरी उनकी आस है.
अज्ञानी है वो जो,
असफल होने पर तुम्हें कोसता है.
उसी असफलता में तो छुपी है सफलता,
ये कोई कहाँ सोचता है.
युद्ध में कोई कमी रह गई,
तभी तो हुआ कोई योद्धा परास्त.
पर इतने भर से न समझ लेना,
कि हो गया संभावनाओं का सूर्यास्त.
परिश्रम तो किया नहीं,
फिर औरों पे क्यों दोष मढ़ता है.
जो ले सबक असफलताओं से,
वही तो सफलता की सीढ़ियां चढ़ता है.
कड़ी मेहनत कर तू,
और मन में रख दृढ़ विश्वास.
फिर देखना तुम कि कैसे,
पूरी नहीं होती है,तुम्हारी आस.
✍अशोक नेताम"बस्तरिया"
कोण्डागाँव(छत्तीसगढ़)
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