मंगलवार, 4 जुलाई 2017

||पांचवीं पास पराजित प्रेमी का प्रेम प्रसंग||

एक 5 वीं पास छत्तीसगढ़िया की थी,
किसी को पाने की चाहत.
पर न मिली उसे वह,
हृदय हुआ उसका आहत.

फिर भी उसे अपने आगे,
आशाओं का सूरज ही दिखा.
आइए पढ़ें कि अपनी व्यथा को,
उसने किस प्रकार लिखा.

तुम चल दिए मोला छोड़के,
एक घाँव भी तुम्हें मेरा सुरता नहीं आया.
तँय पाके किसी और को हो गये हरियर,
इहाँ मेरा जीवन कमल मुरझाया.

जब ऊपर बादर से,
रद-रद रद-रद पानी गिरता है.
तोर बिना मोर संगी,
लागथे जइसे छाती जरता है.

तैं रेहे महल म रहने वाली,
में रेहेंव गरीब किसान.
पिसा गया अइसे जइसे,
पिसा जाता है पिसान.

था मैं भकवा अउ,
पांचवी पास गँवार.
फेर मुझे मिलता कईसे,
तुम जइसे का पिंयार.

तुम नहीं हो फेर,
हम ल भी कोई गम नहीं.
काबर कि,आधा एकड़ के जमीन भी,
काखरो ले कम नहीं.

छिदिर-बिदिर जिनगी को,
हम फिर से जमा लेंगे.
तैं नइ हस ते का हुआ,हम अकेल्ला ही,
खेत म कमा लेंगे.

✍अशोक नेताम"बस्तरिया"
📞9407914158

1 टिप्पणी:

Unknown ने कहा…

वाह👌👌

मजा आ गया🤣🤣🤣

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