पुकारते सब तुम्हें कई नामों से,
मेरे खुदा तुम बस एक हो.
नजर आते हो बस उसी को,
जिसके विचार और कर्म नेक हों.
अशोक नेताम"बस्तरिया
बरसात के पानी से नमी पाकर धरती खिल गई है.कई हरी-भरी वनस्पतियों के साथ ये घास भी खेतों में फैली हुई लहलहा रही है.चाटी (चींटी) क...
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