बुधवार, 16 अगस्त 2017

||मैं मूरख||

मैं पहुंचा सीधा मंदिर
राह में पड़े-कराहते हुए,
उस राही से मुँह मोड़ कर.
बोले भगवान-"अरे मूरख,
तू कैसे चला आया,
मुझे रास्ते पे ही तड़पता छोड़ कर."

अशोक नेताम "बस्तरिया"

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