रविवार, 20 अगस्त 2017

||सिस्टम है फेल||


नियम-कायदे यहाँ,
जाते रोज लेने तेल.
यहाँ का तो,
सिस्टम ही है फेल.
बेकसूर यहाँ,
जाते हैं जेल.
गुनहगारों को,
मिल जाती बेल.
आखिर कौन कसे,
अपराधियों पे नकेल?
तू है आम आदमी,
तो मुसीबत झेल.
न बा ना,भारतीय रेल?
यानी कि मौत का खेल.

✍अशोक नेताम"बस्तरिया"

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