सोमवार, 28 अगस्त 2017

||अपना भारत अखंड||

धर्म की आड़ लेकर,
करते जो पाखंड.
मार भगाओ देश से उसे,
लेकर हाथों में दंड.

लटका दो सूली पे या,
कर दो खंड-खंड.
ऐसी करनी कर न सके कोई,
दो ऐसा कठोरतम दंड.

अग्नि जलाओ सबके भीतर,
विरोध की ऐसी प्रचंड.
कि तुरंत स्वाहा हो जाए,
इनकी हेकड़ी,इनका घमंड

जनता जनार्दन को समझे हैं क्या,
ये नीच,पापी,उद्दंड.
था कल,है आज भी,और रहेगा सदा,
अपना भारत अखंड.

✍अशोक नेताम "बस्तरिया"

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