देव धामी तुमके आमि,
चेगाउन्से नवा चाउर.
सबाय घर ने सांति रहो,
नी माँगु काँई आउर.
काकय काँई चिपा नी हवो,
करेन्से तुमके गुहार.
मिलुन-मिसुन मनाऊँ सबाय,
नुवाखाई चो तिहार.
अशोक नेताम "बस्तरिया"
बरसात के पानी से नमी पाकर धरती खिल गई है.कई हरी-भरी वनस्पतियों के साथ ये घास भी खेतों में फैली हुई लहलहा रही है.चाटी (चींटी) क...
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