छोड़कर अपना गाँव
पीछे,बहुत दूर.
आया है खाक छानने,
महानगर रायपुर.
एक भोला-निश्छल,
सीधा-सादा रंक.
जीवन ज्ञान से,
है जो पूर्णत: निरंक.
चाहता है तुम्हारे आँचल की छाँव,
माँ तुम्हारे लाल को,
क्या नहीं मिलेगा तुम्हारा अंक?
✍अशोक नेताम"बस्तरिया"
📞9407914158
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें