आया तो है जग में,
कुछ भिन्न करने औरों से,पर...|
समय अश्व उड़ा जा रहा,
जैसे निकल आएँ हो उसके पर.
निद्रा त्याग,उठ-जाग मेरे बंधु,
न सोया रह निश्चिन्त,सुख सेज पर.
✍अशोक नेताम"बस्तरिया"
📞9407914158
बरसात के पानी से नमी पाकर धरती खिल गई है.कई हरी-भरी वनस्पतियों के साथ ये घास भी खेतों में फैली हुई लहलहा रही है.चाटी (चींटी) क...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें