सोमवार, 5 जून 2017

||भाई मेरे लगातार चल||

भाई मेरे,न ठहर,
बस लगातार चल.
आज ही बस अपना है,
किसने देखा है कल.
न हो निराश,कठिनाइयों का,
कभी तो मिलेगा हल.
दो रोज का है खेल ये जीवन,
कर न किसी से छल.
है हक तू भी कमा धन-दौलत,
पर कभी न किसी से जल.
कर न गुमान अपनी जवानी पर,
इक दिन ये जाएगा ढल.
कर कुछ ऐसा प्यारे कि,
यादगार बन जाए हर पल.
कुछ तो परहित खर्च कर,
निज समय,धन और बल.
मनुज जैसा है कर्म करता,
है मिलता वैसा ही फल.

✍अशोक नेताम"बस्तरिया"
📞9407914158

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