रविवार, 18 जून 2017

||बादर रानी पानी गिराउन देस रे||

बादर रानी-बादर रानी,
तूय जासित कोन देस रे.
पखना होली जीव खिंडिक,
पानी गिराउन देस रे.

दख नी तूय कि कसन,
सुखेसे मचो बेड़ा-खाड़ा,
पसनाफुटा मसागत ने मचो,
दखा दयसे देंह चो हाड़ा.
बेर चो रठया घाम ने,
जरेसे मचो रकत.
सियान होते जाँयसे मैं,
घटते जायसे सकत.

मचो करलानी-मचो दुखा के,
सौसिद मेटुन देस रे.
बादर रानी-बादर रानी,
तूय जासित कोन देस रे.
पखना होली जीव खिंडिक,
पानी गिराउन देस रे.

तूय आव चे सत्तय,नी भटाव.
नाहलेक करेंदे कसन मैं पोरु के,
आपलो बेटी चो बिहाव.
कबले बिचारेंसे कि बनायँदे,
एक ठान अछा चो घर.
कमायँसे मैं रात-दिन,
मान्तर नी हाय काँई चो थर.

मचो दखलो सपना के,
सत्तय करुन देस रे.
बादर रानी-बादर रानी,
तूय जासित कोन देस रे.
पखना होली जीव खिंडिक,
पानी गिराउन देस रे.

हौ बरसा ने,
चुहेसे मचो छानी,
काँई हव मांतर,
गिराव तूय पानी.
दखेंदे मचो दुखा के ,
जाले कसन होयदे.
काय मचो लाडरा बेटा,
भुकय सोयेदे.,

मया बरसाव रे तूय,
नी जा परदेस रे.
बादर रानी-बादर रानी,
तूय जासित कोन देस रे.
पखना होली जीव खिंडिक,
पानी गिराउन देस रे.

गिराव पानी खुबे,
सबाय झन हरिक उदिम हवोत.
चिपा नी हवो काँई चो,
कोनी भुके नी सवोत.
मिलुन-मिसुन फीजते गावाँ,
बेड़ा ने रिलो पाटा.
धान उपजो इतरो कि,
नी हवो काकय घाटा.

मँझपुरिया लोग उपरे,
किरपा करुन देस रे.
बादर रानी-बादर रानी,
तूय जासित कोन देस रे.
पखना होली जीव खिंडिक,
पानी गिराउन देस रे.

✍अशोक नेताम"बस्तरिया"
📞9407914158

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