गागर ले,जाती मैं नीर साँवरे.
मोहे मारो न,नैनों के तीर साँवरे.
उड़ने दो मन खग ये,
मुक्त आकाश में.
बाँधों न तुम इसको,
प्रेम पाश में.
होवो न इतना अधीर साँवरे.
गागर ले,जाती मैं नीर साँवरे.
मोहे मारो न,नैनों के तीर साँवरे.
अभी तो हूँ मैं कान्हा,
इतनी सीधी-भोली.
समझूँ न तनिक भी,
मैं प्रेम की बोली.
ये प्रसंग है कुछ,गंभीर साँवरे.
गागर ले,जाती मैं नीर साँवरे.
मोहे मारो न,नैनों के तीर साँवरे.
किसी के अश्रु देख,
मेरा जी घबराता.
औरों का दुख मुझसे,
नहीं देखा जाता.
सहूँगी कैसे प्रेम पीर साँवरे.
गागर ले,जाती मैं नीर साँवरे.
मोहे मारो न,नैनों के तीर साँवरे.
✍अशोक नेताम"बस्तरिया"
📞9407914158
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