शुक्रवार, 30 जून 2017

||दूय छाक सल्फी||

तुमी रुपया-पयसा बीता,
अउर हमी दादा बस्तरिया,
काय जानुँ बे झिकुकलाय सेल्फी.
आमचो तो जीवना आय इतरो,
कि दिन भर कमउँसे अउर,
साँझ बेरा दूय छाक पियुँ देउँसे सल्फी.

✍अशोक नेताम"बस्तरिया"
📞9407914158

कोई टिप्पणी नहीं:

चाटी_भाजी

 बरसात के पानी से नमी पाकर धरती खिल गई है.कई हरी-भरी वनस्पतियों के साथ ये घास भी खेतों में फैली  हुई लहलहा रही है.चाटी (चींटी) क...